भगवान शिव की प्राचीन कथा भाग 2
नमस्कार दोस्तों मैं दीपक शर्मा स्वागत करता हूं। Bhakti story 2 में आज का टॉपिक है भगवान शिव ने ऋषि पुत्र को दूधगंगा क्यों दी बहुत समय पहले एक ऋषि वेयाग वेयाग पात हुआ करते थे वह अपने समय में बहुत प्रसिद्ध ऋषि थे उम्र हो जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई उसके बाद उनका पुत्र भीख मांग कर अपना गुजारा करते थे पर बहुत से लोग ऋषि वेयाग पुत्र को ताने देते थे कि तू ऋषि का पुत्र होते हुए ना हवन जनता ना पाठ पूजा एक दिन वह तंग आकर अपनी मां से कहता है की है मां मैं अब कभी भीख नहीं मांगूंगा क्योंकि लोग मुझे ताने देते हैं कि मैं ऋषि का पुत्र होने के बाद भी ना में पूजा जानता हूं ना मैं पाठ जानता हूं तो उसकी मां कहती है समय समय की बात है एक समय तुम्हारे पिताजी के यहां पर बहुत इज्जत थी अब उनके ना रहने पर सब उनको भूल गए हैं हम आप यहां नहीं रहेंगे हम तुम्हारे मामा के घर चलेंगे वहां जाकर रहेंगे जैसी हो अपने मामा के घर जाते हैं उन दोनों में झगड़ा हो रहा होता है उनका झगड़ा देखकर मैं बाहर खड़े हो जाते हैं का मामा भी कामकाज नहीं करता था घर पर ही रहता था उनके पास कई गाय थी गाय से ही दूध दांत आता था