भगवान शिव की प्राचीन कथा

नमस्कार दोस्तों मैं दीपक शर्मा स्वागत करता हूं अपने चैनल 






       Bhakti story 2


                   में


        आज का टॉपिक

है भगवान शिव की प्राचीन कथा

बहुत समय पहले एक गांव में एक पंडित और पंडिताइन रहते थे वह तो भगवान शिव के परम भक्त थे वह जो पंडित था क्या भगवान शिव की साधनों में निरंतर भगवान शिव की साधना करतार जाप मंत्रों का जाप करता रहता था और उसे थोड़ा बहुत आयुर्वेद का भी ज्ञान था जो वह लोगों का इलाज मुफ्त में करता था और उनसे पैसे भी नहीं देता था और उनसे बस यही कहता कि आप भगवान भोलेनाथ का नाम ले परंतु उसको कोई संतान न थी जब उसकी पत्नी घर से बाहर जाति पानी वानी लेने या और भी कई काम कर ले तब आप पड़ोस की महिलाएं उससे कहती तो बाज है बाज का देखना अशुभ होता है को अभागन है उसको ताने देती रोज-रोज के बताने सुनकर एक दिन आत्महत्या करने के लिए नदी पर गई परंतु वहां माता पार्वती भेष बदलकर वहां प्रकट हुई साध्वी का रूप लेकर माता ने उसे आत्महत्या करने से रोका और कहा बेटी यह करना गलत है क्योंकि ईश्वर का जन्म आत्महत्या करने से किसी भी समस्या का हल नहीं होता वह कहती है की है है मां लोग मुझे बाज कहते हैं इसलिए मैं आत्महत्या कर रही थी तब माता पार्वती उससे कहती है बेटी तू सोलह सोमवार का व्रत रखा उससे भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होंगे वह तुझे संतान सुख का आशीर्वाद देंगे यह सुनकर वह अपने घर जाती है और भगवान भोलेनाथ के सोलह सोमवार का व्रत और नियम करती है जब उसके सोलह सोमवार का व्रत खत्म होता है तो वह बहुत से लोगों को खाना भी खिलाती है फिर कुछ दिन बाद उनके घर में एक लड़के का जन्म होता है परंतु वह अल्पायु होता है अल्प आयु में होता है जिसकी 15 16 साल में ही मृत्यु हो जाती है माता पार्वती ने उसे यह बात नहीं बताई थी कि उसके जीवन में संतान सुख नहीं है उसी गांव में एक पंडित और था जो वह उन दोनों से बहुत चढ़ता था वह उन को नीचा दिखाने के लिए कई कई बार षड्यंत्र रचता था कुछ समय बाद पंडित और पंडिताइन कल लड़का 6  7 साल का हो गया पंडित और पंडिताइन का बच्चा बच्चों के साथ खेल रहा था तो उस पंडित ने जहर का लड्डू भगवान के प्रसाद के रूप में इस बच्चे को खिला दिया वह छोटा बच्चा उस प्रसाद उठाने के बाद मर गया जब कुछ बच्चे उस बच्चे को उसके माता-पिता के घर ले गए तब वह दोनों पंडित और पंडिताइन दोनों खूब रो रहे थे थोड़ी देर में कुछ साधु संत वहां से गुजर रहे थे तब उन्होंने उस पंडित के घर रुकने का आश्चर्य बनाया तो पंडित और पंडिताइन ने अपने बच्चे का शव अंदर कमरे में रख कर उन दो सभी पंडितों का साधुओं का खाने का इंतजाम किया उन सभी साधुओ ने उनके मुख पर रोवासा चेहरा देखा फिर उन साधनों में से एक साधु ने उस पंडित और पंडिताइन से पूछा क्या बात है तब पंडित और पंडिताइन में बताया कि उनका पुत्र खत्म हो चुका है उस साधु ने कहा मुझे वहां ले चलो उसके बाद उस बच्चे के शव पर उसने देखा फिर उसने कहा भगवान भोलेनाथ तो बहुत भोले हैं अपने बच्चे को भोलेनाथ का नाम लेकर पुकारो तुम दोनों ने भोलेनाथ का नाम लेकर अपने बच्चे को दो-तीन बार आवाज दी तीसरी बार आवाज देती हूं वह बच्चा जिंदा हो गया सबके चेहर पर मुस्कुराहट आ गई भगवान भोलेनाथ बहुत ही बोले हैं अगर उनसे सच्चे दिल से कुछ मांगे तो वह हमें सब कुछ देने में सक्षम है।

जय हो भगवान भोलेनाथ की हर हर महादेव

        धन्यवाद


Comments

Popular posts from this blog

जलपरी का रहस्य

योगणिया कौन होती है

विषकन्या